तेरी मुरलीया ने,
जीना हराम कर दिया,
गोकुल की गलियों में,
मुझे बदनाम कर दिया,
तेरी मुरलिया ने,
जीना हराम कर दिया।।
तर्ज – तेरी मोहब्बत ने।
तुम क्या जानो नंदलाला,
हार गई सब ब्रजबाला,
ग्वालों के संग आते हो,
माखन रोज चुराते हो,
माखन चोरी कर तूने,
जीना दुश्वार किया,
तेरी मुरलिया ने,
जीना हराम कर दिया।।
तेरी मुरलिया हुई बैरन,
लूटके ले गई है मेरा मन,
अब तो ना बच पाऊंगी,
शायद मैं मर जाऊंगी,
बेचैनी है दिल में हर पल,
ये क्या कर दिया,
तेरी मुरलिया ने,
जीना हराम कर दिया।।
तेरी मुरलीया ने,
जीना हराम कर दिया,
गोकुल की गलियों में,
मुझे बदनाम कर दिया,
तेरी मुरलिया ने,
जीना हराम कर दिया।।
स्वर – मुकेश कुमार जी।
Bahut achha
Hii