तेरी सांवली सूरत ने,
दीवाना कर डाला,
तेरी मोहनी मूरत ने,
मस्ताना कर डाला,
तेरी साँवली सूरत ने,
दीवाना कर डाला।।
तेरी विरह की अग्नि में,
जलता है बदन मेरा,
मेरे श्याम मुझे तुमने,
परवाना बना डाला,
तेरी मोहनी मूरत ने,
मस्ताना कर डाला,
तेरी साँवली सूरत ने,
दीवाना कर डाला।।
मेरे मंदिर आ आओ,
तेरा भक्त बुलाता है,
मुझको ही क्यों तुमने,
अनजाना कर डाला,
तेरी मोहनी मूरत ने,
मस्ताना कर डाला,
तेरी साँवली सूरत ने,
दीवाना कर डाला।।
यमुना तट आ जाओ,
फिर बंसी बजा जाओ,
क्यों खिलते गुलशन को,
वीराना बना डाला,
तेरी मोहनी मूरत ने,
मस्ताना कर डाला,
तेरी साँवली सूरत ने,
दीवाना कर डाला।।
तेरी सांवली सूरत ने,
दीवाना कर डाला,
तेरी मोहनी मूरत ने,
मस्ताना कर डाला,
तेरी साँवली सूरत ने,
दीवाना कर डाला।।
स्वर – सुनील जी पाठक।