थम गया ये जहाँ,
माँ तुम हो कहाँ,
है परेशान इंसा,
देखो कितना यहाँ,
अब जरूरत पड़ी,
आओ मैया यहाँ,
तेरी किरपा से हो,
फिर खुशी का समा,
थम गया ये जहां।।
तर्ज – जाने वालों जरा।
जहाँ खुशियां थी कल जहाँ,
है वहाँ छाया गम,
कर दो हम पर भी मैया जी,
रहमो करम,
करदो रहमो करम,
कितने निर्दोष माँ,
बैठे जा को गंवा,
तेरी किरपा से हो,
फिर खुशी का समा,
थम गया ये जहां।।
शेरावाली ओ माँ,
करो अब मेंहर,
जग से नष्ट करो,
छाया ये जो कहर,
छाया ये जो कहर,
खिल उठे फिर से माँ,
हिन्द का बागवाँ,
तेरी किरपा से हो,
फिर खुशी का समा,
थम गया ये जहां।।
अपने बच्चो की माँ,
अब तो लेलो खबर,
तेरे होते क्यो भटके माँ,
हम दर बदर,
भटके हम दर बदर,
‘देव’ ‘दिलबर’ का माँ,
अब ना लो इम्तिहाँ,
तेरी किरपा से हो,
फिर खुशी का समा,
थम गया ये जहां।।
थम गया ये जहाँ,
माँ तुम हो कहाँ,
है परेशान इंसा,
देखो कितना यहाँ,
अब जरूरत पड़ी,
आओ मैया यहाँ,
तेरी किरपा से हो,
फिर खुशी का समा,
थम गया ये जहां।।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
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