थाने बनड़ो बणायो रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार,
थाने बनड़ो बणायों रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार,
आयो थो जब थारे द्वारे,
रूप सलोनो प्यारो लागे,
धरती पे चाँद को टुकड़ो रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार,
थाने बनड़ो बणायों रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार।।
तर्ज – बता मेरे यार सुदामा रे।
कुण सा बाग़ से फूल मंगाया,
थारा मोटा गजरा बणाया,
भाव सु थाने सजायो रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार,
ओ थाने बनड़ो बणायो रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार।।
ओ बाबा कोण सो इतर लगायो,
चन्दन केसर तिलक लगायो,
महक श्रृंगार रे बाबा रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार,
ओ थाने बनड़ो बणायो रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार।।
चाँदी का दरवाजा तेरा,
सोने का सिंहासन तेरा,
मोर छड़ी हाथा में सोवे रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार,
ओ थाने बनड़ो बणायों रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार।।
तेरा मीठा भजन सुनाऊँ,
थाने मन की बात बताऊँ,
‘अमित’ थारे लिखे भाव सु रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार,
ओ थाने बनड़ो बणायो रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार।।
थाने बनड़ो बणायों रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार,
थाने बनड़ो बणायो रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार,
आयो थो जब थारे द्वारे,
रूप सलोनो प्यारो लागे,
धरती पे चाँद को टुकड़ो रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार,
थाने बनड़ो बणायों रे,
थारो होयो गजब श्रृंगार।।