थाने काई काई कह,
समझाऊँ म्हारा बाला गिरधारी,
पूर्व जनम री प्रीति हमारी,
अब नहीं जात निवारी,
थाने कांई कांई कह,
समझाऊँ म्हारा बाला गिरधारी।।
सुन्दर बदन निरखयो जबसे,
पलक ना लागे म्हारी,
रोम रोम में अंखिया अटकी,
नख सिख की बलिहारी,
थाने कांई कांई कह,
समझाऊँ म्हारा बाला गिरधारी।।
हम घर बेग पधारो मोहन,
लग्यो उमावो भारी,
मोतियन चौक पुरावां बाला,
तन मन तो पर वारी,
थाने कांई कांई कह,
समझाऊँ म्हारा बाला गिरधारी।।
म्हारो सगपण थासु गिरधर,
मैं छु दासी थारी,
चरण कमल मोहे राखो सांवरा,
पलक न कीजे न्यारी,
थाने कांई कांई कह,
समझाऊँ म्हारा बाला गिरधारी।।
वृन्दावन में रास रचायो,
संग में राधा प्यारी,
मीरा प्रभु को प्यारों बालो,
हमरी सुरति बिसारी,
थाने कांई कांई कह,
समझाऊँ म्हारा बाला गिरधारी।।
थाने काई काई कह,
समझाऊँ म्हारा बाला गिरधारी,
पूर्व जनम री प्रीति हमारी,
अब नहीं जात निवारी,
थाने कांई कांई कह,
समझाऊँ म्हारा बाला गिरधारी।।
स्वर – संत श्री रामप्रसाद जी महाराज।
Upload By – Keshav
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