थाने नमो नमो गुरू दरिया,
थारी शरण किता जीव तिरिया।।
तुम ऐसा भगत उजीरा,
जैसे बप घर दास कबीरा,
तुम नाम रता ज्युं नामा,
गुरू राखा ज्युं नेह कामा।।
तुम पुरण ब्रम्ह पठाया,
धिन भाग हमारे आया,
तुम नाम अमिरस दिया,
म्हे तो शरण तुम्हारी जिया।।
तुम हिंदु तुरक निराली,
तुम काड़ी ग्यान गिराली,
तुम पंथ पकड़िया आदु,
गुरू दर्शन जैसा दादु।।
मैं तो तुम देख्याई जिऊँ,
मै तो बार बार जल पिऊँ,
मै तो बेर बेर बलीहारी,
जन सुखिया शरण तुम्हारी।।
थाने नमो नमो गुरू दरिया,
थारी शरण किता जीव तिरिया।।
स्वर – श्री सुखदेवजी महाराज कुचेरा।
प्रेषक – भँवरलाल जाँगिड़।
9890550772