थाने प्रथम मनावा गणराज,
काज म्हारा पूरण करियो जी,
रिद्ध सिद्ध का भरो भंडार,
रिद्ध सिद्ध का भरो भंडार,
आस म्हारी पूरी करियों जी।।
तर्ज – आ लौट के आजा।
सबसे पहले थाने मनावां,
लड़ूवन भोग लगावां,
कीर्तन में बाबा आन विराजो,
चरना शीश नवावां,
थारां भगत करे अरदास,
काज म्हारा पूरण करियों जी,
रिद्ध सिद्ध का भरो भंडार,
आस म्हारी पूरी करियों जी।।
शिव शंकर का पुत्र लाडला,
पार्वती महतारी,
एकदंत गजबदन विनायक,
मूसे की असवारी,
सारा संकट हरो जी महाराज,
काज म्हारा पूरण करियों जी,
रिद्ध सिद्ध का भरो भंडार,
आस म्हारी पूरी करियों जी।।
लड़ूवन मोदक भोग है प्यारा,
थारे भेट चढ़ावा,
छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,
थारे भोग लगावां,
जीमो जीमो जी ज़िमावां गणराज,
काज म्हारा पूरण करियों जी,
रिद्ध सिद्ध का भरो भंडार,
आस म्हारी पूरी करियों जी।।
‘नाथ गुलाब’ थारी महिमा गावे,
अरजी सुनियो म्हारी,
विनय करे थारी चरण चाकरी,
विपदा टारों सारी,
थासूं विनती है बारम्बार,
काज म्हारा पूरण करियों जी,
रिद्ध सिद्ध का भरो भंडार,
आस म्हारी पूरी करियों जी।।
थाने प्रथम मनावा गणराज,
काज म्हारा पूरण करियो जी,
रिद्ध सिद्ध का भरो भंडार,
रिद्ध सिद्ध का भरो भंडार,
आस म्हारी पूरी करियों जी।।
गायक – संत श्री गुलाब नाथ जी महाराज।
लेखक – विनय कुमार तमोली लक्ष्मणगढ़।
9785064838