थारी चाकरी में चुक कोनी,
राखु म्हारा सांवरिया,
थे चाकर म्हाने राखो जी,
राखो जी श्याम,
चाकर म्हाने राखो जी।।
चाकरी में दर्शन पास्या,
भजन सुणास्या थाने,
झूम नाचकर थाने रिझास्या,
मिल भगता के सागे,
म्हारे सिर पर हाथ,
फिरा द्यो म्हारा सांवरिया,
थे चाकर म्हाने राखो जी,
थारी चाकरीं में चुक कोणी,
राखु म्हारा सांवरिया,
थे चाकर म्हाने राखो जी,
राखो जी श्याम,
चाकर म्हाने राखो जी।।
कलयुग का अवतार श्याम,
थे दिनों को रखवाला,
खाटू में बैठ्या राज चलावो,
लीले घोड़े वाला,
म्हापे मोरछड़ी,
लहरा द्यो म्हारा सांवरिया,
थे चाकर म्हाने राखो जी,
थारी चाकरीं में चुक कोणी,
राखु म्हारा सांवरिया,
थे चाकर म्हाने राखो जी,
राखो जी श्याम,
चाकर म्हाने राखो जी।।
खाटू वाले श्याम धणी,
थे सुणल्यो अर्जी हमारी,
जो भी थाकि शरण में आवे,
काटो विपदा सारी,
थारी ‘केमिता’ री लाज,
बचाज्यो म्हारा सांवरिया,
थे चाकर म्हाने राखो जी,
थारी चाकरीं में चुक कोणी,
राखु म्हारा सांवरिया,
थे चाकर म्हाने राखो जी,
राखो जी श्याम,
चाकर म्हाने राखो जी।।
थारी चाकरी में चुक कोनी,
राखु म्हारा सांवरिया,
थे चाकर म्हाने राखो जी,
राखो जी श्याम,
चाकर म्हाने राखो जी।।
स्वर – केमिता जी राठौड़।