थारी कंचन री काया में दाग,
लगायो रे भोला जीवड़ा,
लगायो रे भोला जीवड़ा,
राम नाम रट ले रे,
रटले प्यारा,
राम नाम रट ले रे।।
जीता जी तो मात पिता ने,
पाणी नहीं पिलायो,
मरया पछे गंगाजल,
पिलावे रे भोला जीवड़ा,
राम नाम रट ले रे।।
जीता जी तो मात पिता ने,
मुख नहीं बोलाया,
मरया पछे तस्वीरा,
मंडावे रे भोला जीवड़ा,
राम नाम रट ले रे।।
जीता जी तो मात पिता ने,
पइसो नहीं दियो,
मरया पछे पइसा,
लुटावे रे भोला जीवड़ा,
राम नाम रट ले रे।।
जीता जी तो मात पिता रा,
चरण नहीं दबाया,
मरया पछे आंसूड़ा,
बहावे रे भोला जीवड़,
राम नाम रट ले रे।।
जीता जी तो मात पिता ने,
कपड़ा नहीं पेराया,
मरया पछे शाला तो,
ओढ़ावे रे भोला जीवड़ा,
राम नाम रट ले रे।।
जीता जी तो मात पिता ने,
तीर्थ नहीं कराया,
मरया पछे हरिद्वार,
ले जावे रे भोला जीवड़ा,
राम नाम रट ले रे।।
जीता जी तो मात पिता ने,
रोटी नहीं खिलाई,
मरया पछे लाडूड़ा,
जिमावे रे भोला जीवड़ा,
राम नाम रट ले रे।।
थारी कंचन री काया में दाग,
लगायो रे भोला जीवड़ा,
लगायो रे भोला जीवड़ा,
राम नाम रट ले रे,
रटले प्यारा,
राम नाम रट ले रे।।
स्वर – डॉ. श्री रामप्रसाद जी महाराज।
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