थे छो रिद्धि सिद्धि का सिरताज,
म्हारे घर आवो जी गणराज,
आवो जी गणराज,
ज्ञान बताओ जी गणराज,
थे हो रिद्धि सिद्धि का सिरताज,
म्हारे घर आवो जी गणराज।।
शिव पार्वती का लाला,
थारे गल वेजंती माला,
करो थे सबका पूर्ण काज,
म्हारे घर आवो जी गणराज।।
थाने सिमरू सबसे पहली,
दिज्यो बता ज्ञान की गैली,
नही मने बुद्धि को अंदाज,
म्हारे घर आवो जी गणराज।।
झठे घूम जाई थाको घोटो,
जी भठे काई बात को टोटो,
बिको सबसे न्यारों मिजाज,
म्हारे घर आवो जी गणराज।।
गढ़ रणतभंवर का राजा,
म्हारी नैया पार लगाजा,
बचा डूबी समंदर में जहाज,
म्हारे घर आवो जी गणराज।।
भक्त भगवान सहाय पर झांको,
सिर पर हाथ मेल दयो थांको,
रखो बाना की लाज,
म्हारे घर आवो जी गणराज।।
थे छो रिद्धि सिद्धि का सिरताज,
म्हारे घर आवो जी गणराज,
आवो जी गणराज,
ज्ञान बताओ जी गणराज,
थे हो रिद्धि सिद्धि का सिरताज,
म्हारे घर आवो जी गणराज।।
गायक – कवि भगवानसहाय सैन।
प्रेषक – मोहित मंडावरिया।
9351417345