थे ना सुणो तो कुण सुणसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी,
थें ना सुणो तो कुण सुणसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी।।
तर्ज – घर आया मेरा परदेसी।
किरपा खाटू श्याम करो,
चिंता म्हारी श्याम हरो,
थे ना हरो तो कुण हरसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी,
थें ना सुणो तो कुण सुणसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी।।
टेर सुणो इब आ जाओ,
सिर पे हाथ फिरा जाओ,
थे धरो तो कुण धरसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी,
थें ना सुणो तो कुण सुणसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी।।
नाम बड़ो थारो काम बड़ो,
शरणा में थारे श्याम पड्यो,
थे ना भरो झोली कुण भरसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी,
थें ना सुणो तो कुण सुणसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी।।
‘हर्ष’ दया करतार करो,
मजधारा सू पार करो,
थे ना करो तो कुण करसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी,
थें ना सुणो तो कुण सुणसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी।।
थे ना सुणो तो कुण सुणसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी,
थें ना सुणो तो कुण सुणसी,
था बिन दुखड़ा कुण हरसी।।
स्वर – रजनीश शर्मा जी।