थोड़ो राम जी ने भज ले गेला,
थने सतगुरु देवे हैला।।
एक डाल दो पंछी बैठा,
एक गुरु एक चेला,
गुरु की करनी गुरु भरेला,
चेला की करनी चेला।।
कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी,
जोड़ भर दिया थैला,
सभी छोड़कर चला मुसाफिर,
संग नही चले थैला।।
बाजीगर ने खेल रचाया,
खलक हुआ अब भेला,
बाजीगर जब खेल समेटा,
रह गया आप अकेला।।
चित चाहिये का चेला करिये,
मन मिले का मेला,
कहत कबीर सुणो भाई साधो,
सबसे भला अकेला।।
थोड़ो राम जी ने भज ले गेला,
थने सतगुरु देवे हैला।।
भजन गायक – चम्पा लाल प्रजापति।
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