तू ही राम कहीं तू ही श्याम कहीं,
वीर महावीर प्रभु कहलाता,
तू ही तू बस नज़र आता,
दाता तू ही तू नज़र आता।।
तू ही तो राम और श्याम है,
मारे कंश कहीं तारे वंश कहीं,
नरसिंह का रूप कहीं दिखलाता,
तू ही तू बस नज़र आता,
दाता तू ही तू नज़र आता।।
तू ही तो गीता कुरान है,
तू ही ईशा मसीह तू वह गुरु,
तू ही शिवा तू ही खुदा कहलाता
तू ही तू बस नज़र आता,
दाता तू ही तू नज़र आता।।
तू ही तो धरती आसमान है,
सूरज चंदा कहीं दीप पतंगा कही,
तारों को ‘राजेंद्र’ जो चमकाता,
तू ही तू बस नज़र आता,
दाता तू ही तू नज़र आता।।
तू ही राम कहीं तू ही श्याम कहीं,
वीर महावीर प्रभु कहलाता,
तू ही तू बस नज़र आता,
दाता तू ही तू नज़र आता।।
गीतकार / गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
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