तू जितनी भी चाहे,
दौलत कमा ले,
माँ बाप से बढ़कर,
कोई धन नहीं है,
माँ बाप से बढ़कर,
कोई धन नहीं है।bd।
तर्ज – ये माना मेरी जा।
बचपन में जिसने,
चलना सिखाया,
पढ़ा के लिखा के है,
काबिल बनाया,
पढ़ा के लिखा के है,
काबिल बनाया,
वो बूढ़े हुए जो अकेले हुए वो,
वो बूढ़े हुए जो अकेले हुए वो,
उन्हे साथ रखने का,
तेरा मन नहीं है,
तु जितनी भी चाहें,
दौलत कमा ले,
माँ बाप से बढ़कर,
कोई धन नहीं है।bd।
जन्म से तुझे है,
जिस माँ ने पाला,
बड़ा होके उसका तू,
छीने निवाला,
बड़ा होके उसका तू,
छीने निवाला,
रखा कोंख में था नौ माह जिसने,
रखा कोंख में था नौ माह जिसने,
उसी माँ को रखने का,
तेरा मन नहीं है,
तु जितनी भी चाहें,
दौलत कमा ले,
माँ बाप से बढ़कर,
कोई धन नहीं है।bd।
तू जितनी भी चाहे,
दौलत कमा ले,
माँ बाप से बढ़कर,
कोई धन नहीं है,
माँ बाप से बढ़कर,
कोई धन नहीं है।bd।
गायक / लेखक – नितिन श्रीवास्तव।