जगमग जगै भवन म्ह जोत,
तू कन्या बणकै आजा री,
बणके आजा री,
तू कन्या बणके आजा री,
जगमग जगै भवन म्ह जोत,
तू कन्या बणके आजा री।।
तर्ज – छम छम हो रही भवनों में।
नन्हे नन्हे पैर तेरे मांँ,
गरीब के द्वार पै धरिए,
दिलो जान से करैं स्वागत,
मेहर म्हारी तू करिए,
बाट दिखावै मत ज्यादा,
तेरा रूप दिखाज्या री,
जगमग जगै भवन म्ह जोत,
तू कन्या बणके आजा री।।
करकै चाल्लै शेर सवारी,
झुकती दुनिया सारी,
नतमस्तक होवैं तेरे आग्गै,
कद आवै म्हारी बारी,
तेरे चरणों का अमृत माँ,
दो घूट पिला जा री,
जगमग जगै भवन म्ह जोत,
तू कन्या बणके आजा री।।
कुलदेवी तेरी रात जगाई,
आकै सफल बणाईए,
हार बणाए फूलों के माँ,
चुनरी सर पै सजाईए,
पेडे़ जलेबी का भोग बणाया,
हंस-हंस खाज्या री,
जगमग जगै भवन म्ह जोत,
तू कन्या बणके आजा री।।
अपणी मर्जी की मालिक तू,
जोर म्हारा के चाल्लै,
लक्की शर्मा की झोली म्ह तू,
भथ भर बुगटे घाल्लै,
कलम गजेन्द्र की चाल्लै,
तू ज्ञान बढा़ ज्या री,
जगमग जगै भवन म्ह जोत,
तू कन्या बणके आजा री।।
जगमग जगै भवन म्ह जोत,
तू कन्या बणकै आजा री,
बणके आजा री,
तू कन्या बणके आजा री,
जगमग जगै भवन म्ह जोत,
तू कन्या बणके आजा री।।
गायक – लक्की शर्मा पिचोलिया।
9034283904
लेखक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660