तू मिले दिल खिले,
मुझे साथ तेरा चाहिए,
मेरी है ये आस मुझे तेरे पास,
तू रखेगा जिंदगी भर,
चलना संग मेरे बाबोसा,
बनकर तू ही साया,
तू मिले दिल खिलें,
मुझे साथ तेरा चाहिए।।
तर्ज – तुम मिले दिल खिले।
अब न मुझे हो..,
कोई राह नज़र,
नही आती है,
बिन माझी हो..,
मेरी नैया मजधार,
डूब जाती है,
तुम्हारे बिना कोई नही,
तुम्हारे बिना कोई नही,
इस जहाँ में बाबा दूजा,
कोई नजर न आया,
तू मिले दिल खिलें,
मुझे साथ तेरा चाहिए।।
ये सांसे चले हो..,
जब तक मेरी,
भूलूँ ना मैं तुझे,
तू साथ है हो.,
मेरे बाबा अब,
कोई गम न मुझे,
कहे मनोज ओ मेरे दिलबर,
कहे मनोज ओ मेरे दिलबर,
मेरे मन की मुरादे,
पूरी करदो जो लाया,
तू मिले दिल खिलें,
मुझे साथ तेरा चाहिए।।
तू मिले दिल खिले,
मुझे साथ तेरा चाहिए,
मेरी है ये आस मुझे तेरे पास,
तू रखेगा जिंदगी भर,
चलना संग मेरे बाबोसा,
बनकर तू ही साया,
तू मिले दिल खिलें,
मुझे साथ तेरा चाहिए।।
गायक – श्री मनोज जी पंडित।
रचनाकार – दिलीपसिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365