तू प्रेम से दादा को बुलाले,
ये दर्शन दे जायेगा,
तू प्रीत ये उनसे लगाले,
ये प्रीत निभायेगा,
ये दर्शन दे जायेगा।।
तर्ज – तू वीर से दिल को।
जहाँ पे सदा प्रेम बरसता है,
दादा उस घर में ही आता है,
होती जहाँ भैरव की कृपा,
स्वर्ग वो घर बन जाता है,
जो इसको अपना बनाये है,
ये उन भक्तो का हो जाये है,
जो दादा से रिस्ता बनाते है,
वो बिन मांगे सब पाते है,
तू नैनो में इसको बसाले,
ये दिल मे उतर जायेगा,
ये दर्शन दे जायेगा।।
ये धन दौलत न मांगे,
न प्रीत खजाने से,
स्वार्थ से जो भी पुकारे इसे,
ना आये किसी के बुलाने से,
कभी ये अभाव में न आये,
किसी के प्रभाव में न आये,
‘दिलबर’ जब भी ये आये,
ये भक्तो के भाव मे ही आये,
तू भक्ति से दादा को रिझाले,
ये भावो में बह जायेगा,
ये दर्शन दे जायेगा।।
तू प्रेम से दादा को बुलाले,
ये दर्शन दे जायेगा,
तू प्रीत ये उनसे लगाले,
ये प्रीत निभायेगा,
ये दर्शन दे जायेगा।।
गायक – शुभम जैन बालोतरा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365