तू शिव शंकर तू नारायण,
तू ही राजा राम,
सारे मिल कर एक हो गए,
बन गए बाबा श्याम।।
बात ये मैं नहीं कहता,
भगत आलूसिंह जी कहते है,
जहान में देव है जितने,
अब वो खाटू में रहते है,
तू कहना इनका मान,
यहाँ बैठे है हनुमान,
सारे मिल कर एक हो गए,
बन गए बाबा श्याम।।
नहीं कैलाश पर भोले,
क्षीरसागर में है हरी,
नहीं अयोध्या में श्री राम,
नहीं वृन्दावन में घनश्याम,
तू भटक नहीं नादान,
और इनको ले पहचान,
सारे मिल कर एक हो गए,
बन गए बाबा श्याम।।
यही माँ दुर्गा बैठी है,
यही माँ सीता रहती है,
यही माँ लक्ष्मी जी का वास,
कृष्ण राधा करते यहाँ रास,
मत हो तू हैरान,
इस बात पे दे तू ध्यान,
सारे मिल कर एक हो गए,
बन गए बाबा श्याम।।
पक्का विश्वास करले तू,
साथ तेरा निभाएगा,
रखे बैकुंठ में तुझको,
भव से ये पार लगाएगा,
मत बन तू अनजान,
और इनको ले पहचान,
सारे मिल कर एक हो गए,
बन गए बाबा श्याम।।
ना ही ये यज्ञ से मिलता है,
ना ही ये तप से मिलता है,
ना ही ये दान से मिलता है,
ना ही अभिमान से मिलता है,
‘योगी’ भजन सूना ले तू,
तेरा कर देगा कल्याण,
सारे मिल कर एक हो गए,
बन गए बाबा श्याम।।
तू शिव शंकर तू नारायण,
तू ही राजा राम,
सारे मिल कर एक हो गए,
बन गए बाबा श्याम।।
स्वर – महाराज श्री श्याम सिंह जी चौहान।