तुझे ब्रम्हा,
हो तुझे ब्रम्हा विष्णु भोला ने,
हर हर गँगे बोला,
माँ ऐ हर हर गँगे बोला।।
तर्ज – मेरा रँगदे बसन्ती चौला।
तीन लोक के देव भी फेरे,
माला तेरे नाम की,
फिर भी महिमा समझ ना पाए,
माता तेरे धाम की,
जो भी आया माँ तेरे दर पे,
हर कोई ये बोला,
मइया हर हर गँगे बोला,
माँ ऐ हर हर गँगे बोला।।
पावन हो जाता है मइया,
प्राणी तेरे धाम पे,
हो जाए जो सच्चे दिल से,
निर्भर तेरे नाम पे,
तू ने उसके सोए नसीबो,
का ताला है खोला,
मइया हर हर गँगे बोला,
माँ ऐ हर हर गँगे बोला।।
तेरे दर्शन को आजाऊँ,
राह मुझे दिखलादो माँ,
तेरे दर का बनूँ मै चाकर,
इतनी दया दिखादो माँ,
अपनी भक्ति के रँग मे माँ,
रँगदो मेरा चौला,
मइया हर हर गँगे बोला,
माँ ऐ हर हर गँगे बोला।।
तुझे ब्रम्हा,
हो तुझे ब्रम्हा विष्णु भोला ने,
हर हर गँगे बोला,
माँ ऐ हर हर गँगे बोला।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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