तुझे तेरे बाबा पे,
भरोसा जो होगा,
जो कुछ भी होगा,
अच्छा ही होगा।।
तर्ज – अगर तुम न होते।
कांटे मिले तो,
शिकायत ना करना,
उसकी कृपा के,
इशारे समझना,
बिगड़ी वो तेरी,
बनाता ही होगा,
जो कुछ भी होगा,
अच्छा ही होगा।।
ढूंढेगा जो तू,
तुझे ना दिखेगा,
आस पास है वो,
एहसास होगा,
अंधेरे में दिपक,
जलाता ही होगा,
जो कुछ भी होगा,
अच्छा ही होगा।।
इतना समझ ले,
कदम को बड़ा ले,
तेरे साथ है वो,
मन में बिठाले,
मन में वो बैठा,
बुलाता ही होगा,
जो कुछ भी होगा,
अच्छा ही होगा।।
विधि का विधान कोई,
बदल ना पाये,
लीलानंद है तो,
क्यों घबराये,
उजड़ा चमन फिरसे,
सजाता वो होगा ,
जो कुछ भी होगा,
अच्छा ही होगा।।
सहारा तुझे सिर्फ,
उनसे मिलेगा,
उनके सिवा तेरी,
कोई ना सुनेगा,
सिर पे वो हाथ तेरे,
फिरता ही होगा,
जो कुछ भी होगा,
अच्छा ही होगा।।
तुझे तेरे बाबा पे,
भरोसा जो होगा,
जो कुछ भी होगा,
अच्छा ही होगा।।
गायक – पवन भाटिया जी।
बहुत सुन्धर भजन है मन मंत्र मुद्घ हो गया