तुम्हारा छोड़ कर द्वारा,
ऐ साँई हम कहाँ जाऐँ,
सिवा तेरे मेरा जग मे,
नज़र दूजा नही आए।।
तर्ज – न झटको जुल्फ़ से पानी।
मै ग़म का मारा हूँ साँई,
हूँ अपनो का भी ठुकराया,
तू हमको न भुला देना,
तेरी ले आश हम आए,
तुम्हारा छौड़ कर द्वारा,
ऐ साँई हम कहाँ जाऐँ।।
तू दीना नाथ है बाबा,
यह सुन कर मै चला आया,
दया की इक नज़र साँई,
तेरी मुझ पर भी हो जाए,
तुम्हारा छौड़ कर द्वारा,
ऐ साँई हम कहाँ जाऐँ।।
किया उपकार है तू ने,
सदा अपने दिवानो पर,
दिवाने है वही तेरे,
निरँतर जो तुम्हे ध्याए,
तुम्हारा छौड़ कर द्वारा,
ऐ साँई हम कहाँ जाऐँ।।
जिन्हे दुनिया से प्यारा है,
ऐ साँई सिर्फ दर तेरा,
है वो ही दास बड़भागी,
शरण साँई की जो पाए,
तुम्हारा छौड़ कर द्वारा,
ऐ साँई हम कहाँ जाऐँ।।
तेरी भक्ती मेरे साँई,
अगर मुझको भी मिल जाए,
तेरे चरणो की रज से फिर,
मेरा जीवन सँवर जाए,
तुम्हारा छौड़ कर द्वारा,
ऐ साँई हम कहाँ जाऐँ।।
दया की एक नजर साँई,
अगर मुझ पर भी हो जाए,
मेरी नइया न डूबेगी,
ये भव सागर से तर जाए,
तुम्हारा छौड़ कर द्वारा,
ऐ साँई हम कहाँ जाऐँ।।
तुम्हारा छोड़ कर द्वारा,
ऐ साँई हम कहाँ जाऐँ,
सिवा तेरे मेरा जग मे,
नज़र दूजा नही आए।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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