तुम्ही राम मेरे घनश्याम मेरे,
बाबोसा तुम्ही चारो धाम मेरे।।
मैंने तुमसे ही प्रीत लगाई है,
दिल में तेरी ज्योत जगाई है,
ये जीवन कर किया नाम तेरे,
बाबोसा तुम्ही चारो धाम मेरे।।
तेरी छवि बसी इन नयनो में,
धारा भक्ति की बह रही कर्णो में,
में जाप जपु सुबह शाम तेरे,
बाबोसा तुम्ही चारो धाम मेरे।।
मुझे सुख की कोई चाह नही,
दुख आये भी तो परवाह नही,
है भाव सदा निष्काम मेरे,
बाबोसा तुम्ही चारो धाम मेरे।।
तेरे चरणों में मेरा गुजारा हो,
मेरे बाबोसा तेरा ही सहारा हो,
तुम सामने हो आठो याम मेरे,
बाबोसा तुम्ही चारो धाम मेरे।।
मेरी एक कामना है ‘दिलबर’,
रहे बाईसा का हाथ सदा सर पर,
मैं करती रहूं गुणगान तेरे,
बाबोसा तुम्ही चारो धाम मेरे।।
तुम्ही राम मेरे घनश्याम मेरे,
बाबोसा तुम्ही चारो धाम मेरे।।
गायिका – सम्यता बेनर्जी मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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