तुमसे बड़ा ना दानी श्याम,
सबकी जुबां पर एक ही नाम,
तुमसे बड़ा ना दानी श्याम।।
तर्ज – और इस दिल में क्या रखा है
रण में तुम आये थे,
हारे को जितवाने,
कृष्ण की माया थी,
कौन ये पहचाने,
रण में तुम आये थे,
हारे को जितवाने,
श्याम की माया थी,
कौन ये पहचाने,
बर्बरीक ने कृष्ण को अपना,
शीश दे दिया दान,
शीश दे दिया दान,
ले लिया श्याम ने छल से काम,
तुमसे बड़ा ना दानी श्याम।।
रण के परिणामों को,
कृष्ण ने जाना था,
शीश के दानी का,
न्याय भी साँचा था,
रण के परिणामों को,
कृष्ण ने जाना था,
शीश के दानी का,
न्याय भी साँचा था,
कलयुग में तेरी पूजा होगी,
घर घर सुबह शाम,
घर घर सुबह शाम,
दे दिया कृष्ण ने अपना नाम,
दे दिया श्याम ने अपना नाम,
तुमसे बड़ा ना दानी श्याम।।
सबकी जुबां पर एक ही नाम,
तुमसे बड़ा ना दानी श्याम,
तुमसे बड़ा ना दानी श्याम।।