तुमसे मिलकर मेरे बाबा,
ये ज़िन्दगी मुस्कुराई है,
खाटू आकर सर झुकाकर,
हमने हर ख़ुशी पाई है,
तुमसे मिलकर मेरें बाबा,
ये ज़िन्दगी मुस्कुराई है।।
तर्ज – तुमसे मिलकर ना जाने।
चरणों में तेरे गुजरे लम्हे,
मन में विश्वास जगाते है,
हो सुख दुःख में तुम साथ मेरे,
ऐसा एहसास दिलाते है,
तेरी प्यार भरी नजरो में प्रभु,
अमृत की धार समाई है,
तुमसे मिलकर मेरें बाबा,
ये ज़िन्दगी मुस्कुराई है।।
जो कुछ मैंने सोचा भी नही,
वो तेरी कृपा से पाया है,
हर एक सपना साकार हुआ,
जबसे तूने अपनाया है,
मेरी सोई हुई किस्मत ने प्रभु,
फिर से ली एक अंगड़ाई है,
तुमसे मिलकर मेरें बाबा,
ये ज़िन्दगी मुस्कुराई है।।
प्रभु अपना बना कर तूने मुझे,
इस सेवक पर एहसान किया,
प्रेमी मैं तेरा कहलाया,
सारी दुनिया ने सम्मान दिया,
ये सोच के आंखे नम है मेरी,
मेरा रोम रोम करजाई है,
तुमसे मिलकर मेरें बाबा,
ये ज़िन्दगी मुस्कुराई है।।
तेरे रहते हे मेरे श्याम प्रभु,
किस बात की दाता फिकर करूँ,
जब तक ये जीवन है मेरा,
हर श्वास श्वास तेरा शुकर करूँ,
‘रोमी’ के जीवन की बगिया,
तूने ही प्रभु महकाई है,
तुमसे मिलकर मेरें बाबा,
ये ज़िन्दगी मुस्कुराई है।।
तुमसे मिलकर मेरे बाबा,
ये ज़िन्दगी मुस्कुराई है,
खाटू आकर सर झुकाकर,
हमने हर ख़ुशी पाई है,
तुमसे मिलकर मेरें बाबा,
ये ज़िन्दगी मुस्कुराई है।।
स्वर / प्रेषक – संजय पारीक जी।