तूने किया ना हरि से प्यार,
सारा जीवन दीन्हा गुज़ार,
तेरी ये नादानी है ओ रे मनवा,
तेरी ये कहानी है ओ रे मनवा।।
तर्ज – आने से उसके।
तुमने पाया जो तन,
फिर न पाओगे प्यारे,
तेरा हीरा जीवन,
बीता जाता है सारा का सारा,
माया में रे काहे रे,
तू लिपटlनी है ओ रे मनवा,
तेरी ये कहानी है ओ रे मनवा।।
तेरे दुख का कारण,
तेरी प्रभु के प्रति बेरुखी है,
जो प्रभु के रंग में रंग गया,
तो वो ही सुखी है,
समझा न जो उसको,
वो अज्ञानी है ओ रे मनवा,
तेरी ये कहानी है ओ रे मनवा।।
अरे कर्म कर तू ऐसे,
जिससे सुधरे ये जीवन तुम्हारा,
अरे जन्म और मरण से,
मिल जाएगा रे छुटकारा,
‘राजेन्द्र’ की बात नही,
संतो की बानी है ओ रे मनवा,
तेरी ये कहानी है ओ रे मनवा।।
तूने किया ना हरि से प्यार,
सारा जीवन दीन्हा गुज़ार,
तेरी ये नादानी है ओ रे मनवा,
तेरी ये कहानी है ओ रे मनवा।।
गायक / गीतकार – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
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