तूने मुझको इतना दिया,
कैसे करूँ मैं तेरा शुक्रिया,
जबसे हुई है तेरी मेहर,
जलने लगा है बुझता दिया,
तुने मुझको इतना दिया,
कैसे करूँ मैं तेरा शुक्रिया।।
तर्ज – तेरा मेरा प्यार अमर।
मतलबी थे लोग सब,
मतलबी जमाना था,
मिल गया सुबह तो फिर,
ना शाम का ठिकाना था,
तूने जीवन महका दिया,
कैसे करूँ मैं तेरा शुक्रिया,
तुने मुझको इतना दिया,
कैसे करूँ मैं तेरा शुक्रिया।।
था भरोसा एक दिन,
सुन ही लेगा श्याम तू,
बहते आंसुओ का दर्द,
जाएगा जान तू,
आखिर आकर थाम लिया,
कैसे करूँ मैं तेरा शुक्रिया,
तुने मुझको इतना दिया,
कैसे करूँ मैं तेरा शुक्रिया।।
बन गए हो अब मेरे,
बन के रहना बस यूँ ही,
बीत पाएगी ना अब,
बिन तेरे ये ज़िन्दगी,
‘राजू’ पे करना इतनी दया,
करता रहे वो तेरा शुक्रिया,
तुने मुझको इतना दिया,
कैसे करूँ मैं तेरा शुक्रिया।।
तूने मुझको इतना दिया,
कैसे करूँ मैं तेरा शुक्रिया,
जबसे हुई है तेरी मेहर,
जलने लगा है बुझता दिया,
तुने मुझको इतना दिया,
कैसे करूँ मैं तेरा शुक्रिया।।
स्वर – राजेंद्र अग्रवाल।