टूट गया जग से भरोसा,
खुद से ही मैं हारा श्याम,
आस बची बस केवल तेरी,
हारे का तू सहारा श्याम।।
झूठ की गठरी दुनिया सारी,
मतलब की है केवल यारी,
रिश्ते नाते आँख चुराते,
समझ ना पाया दुनियादारी,
ठोकर खाया दर दर भटका,
घर घर सबको पुकारा श्याम,
टुट गया जग से भरोसा,
खुद से ही मैं हारा श्याम।।
अपनी दया और अपनी नज़र,
कर दो मुझ पर भी पल भर,
सुनकर आया द्वार तुम्हारे,
रखते हो तुम सबकी ख़बर,
तेरा जलवा जानु मैं भी,
थाम लो हाथ हमारा श्याम,
टुट गया जग से भरोसा,
खुद से ही मैं हारा श्याम।।
तेरे मेरे बीच में दूरी,
क्यों है ऐसी क्या मजबूरी,
आन पड़ी अब तेरी ज़रूरत,
तेरा करम है बहुत ज़रूरी,
आया मैं भी शरण तुम्हारे,
दे दो अपना सहारा श्याम,
टुट गया जग से भरोसा,
खुद से ही मैं हारा श्याम।।
टूट गया जग से भरोसा,
खुद से ही मैं हारा श्याम,
आस बची बस केवल तेरी,
हारे का तू सहारा श्याम।।
गायक / प्रेषक – मनीष उपाध्याय।
लेखक – यू पी सुनील।