उड़ जाएगा हंस अकेला,
उड़ जाएगा,
उड़ जाएगा उड़ जाएगा,
उड़ जाएगा उड़ जाएगा,
जग दर्शन का मेला,
उड़ जाएगा,
उड़ जाएगा हँस अकेला,
उड़ जाएगा।।
छूटेंगे महल अटारी,
छूटेगी दुनिया सारी,
कुटुंब कबीला छूटे-छूटे,
बचपन दिन संग खेला रे,
उड़ जाएगा हँस अकेला,
उड़ जाएगा।।
जब होवे उम्मर पूरी,
जब छूटे हुकम हजूरी,
यम के दूत बड़े मजबूत,
जम से पड़ा झमेला रे,
उड़ जाएगा हँस अकेला,
उड़ जाएगा।।
हर के कबीर गुण गावे,
वा हर को पार ना पाए,
गुरू की करनी गुरु जाएगा,
चेला की करनी चेला रे,
उड़ जाएगा हँस अकेला,
उड़ जाएगा।।
उड़ जाएगा हंस अकेला,
उड़ जाएगा,
उड़ जाएगा उड़ जाएगा,
उड़ जाएगा उड़ जाएगा,
जग दर्शन का मेला,
उड़ जाएगा,
उड़ जाएगा हँस अकेला,
उड़ जाएगा।।
गायक – दीपक भिलाला।
प्रेषक / संगीत – विजय गोथरवाल।
9826447996
https://youtu.be/ra-wrABPslQ