उड़ उड़ चाल्या बजरंग बाला,
गया संजीवन लावा ने,
रामचंद्र का काज सरावा,
लक्ष्मण प्राण बचावा ने।।
रघुकुल रीत निभावन रामा,
तज्या राज सुख कारी रे,
कपट वेषधर रावण हर ली,
वन में जनक दुलारी रे,
सात समुंदर कुद्रया बजरंग,
खोज खबरिया लावा ने।।
गढ़ लंका में इंद्रजीत ने,
शक्ति मारी बहु भारी रे,
शेषनाग जद पड्या धरा पर,
छाया संकट भारी रे,
महावीर हुंकार भरी जद,
उङया संजीवन लावा ने।।
अजब अनोखी माया फैली,
द्रोणागिरी पर भारी रे,
मात अंजनी कहे ओ बाला,
तू बड़ो बलकारी रे,
अंग रोस भर आयो बाला,
पर्वत संग ले जावा ने।।
भरत राज ने बाण चलायो,
अवध पे विपदा आई रे,
धरा पड्या बजरंगी सुमिरे,
हे राम रघुराई रे,
चड़ा प्रत्यंचा बाण बिठाया,
गढ़ लंका पहुंचा वाने।।
बजरंगी रे जयकारा सु,
गूंजी लंका नगरी रे,
बूटी पीकर लक्ष्मण जाग्या,
हिवडे आनंद अपारी रे,
रघुनंदन संग सुरेश लागो,
गुण बाला रा गावा ने,
गया संजीवन लावा ने।।
उड़ उड़ चाल्या बजरंग बाला,
गया संजीवन लावा ने,
रामचंद्र का काज सरावा,
लक्ष्मण प्राण बचावा ने।।
गायक – अनंत लोहार केशु लाल लोहार।
9784293640