ऊँचे पहाड़ों वाली,
जगदम्बे राज रानी,
आया हूँ दर पे तेरे,
दर्शन दो माँ भवानी।।
तर्ज – मुझे इश्क़ है तुझी से।
ऐ प्यारी प्यारी मईया,
बालक हूँ मैं तुम्हारा,
तेरे सिवा जहाँ में,
कोई नहीँ हमारा,
इक बार मेरी मईया,
सुनले मेरी कहानी,
आया हूँ दर पे तेरे,
दर्शन दो माँ भवानी,
ऊंचे पहाड़ों वाली।।
मेरा रोम रोम मईया,
तेरा नाम ले रहा है,
दर्शन तुम्हारे होंगे,
दिल मेरा कह रहा है,
तेरी याद में गुजारी,
है मैंने जिंदगानी,
आया हूँ दर पे तेरे,
दर्शन दो माँ भवानी,
ऊंचे पहाड़ों वाली।।
पापों का नाश करके,
पावन हृदय बना दो,
सत्कर्मों से हटूँ ना,
ऐसा मुझे सजा दो,
‘गिरधर’ तेरे चरण का,
इक फूल है भवानी,
आया हूँ दर पे तेरे,
दर्शन दो माँ भवानी,
ऊंचे पहाड़ों वाली।।
ऊँचे पहाड़ों वाली,
जगदम्बे राज रानी,
आया हूँ दर पे तेरे,
दर्शन दो माँ भवानी।।
– प्रेषक –
गिरधर महाराज जी।
9300043737