आँगली मरोड़ी मेरा छल्ला तोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने,
यशोदा तेरे लाल ने,
यशोदा तेरे लाल ने,
आंगली मरोड़ी मेरा छल्ला तोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने।।
नदिया किनारे जल भरण गयी थी,
मार क गुलेल मेरा मटका फोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने,
आंगली मरोड़ी मेरा छल्ला तोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने।।
माखन मिसरी और गुलदाणा,
खाणे की बरियां उसने मुखड़ा मोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने,
आंगली मरोड़ी मेरा छल्ला तोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने।।
ताता सा पाणी साबुन की टिकिया,
नाहणे की बरिया उसने मुखड़ा मोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने,
आंगली मरोड़ी मेरा छल्ला तोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने।।
मैं दौड़ी कान्हा के पीछे,
इतणा तेज दौड़ा हाथ नहीं आया री,
यशोदा तेरे लाल ने,
आंगली मरोड़ी मेरा छल्ला तोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने।।
आँगली मरोड़ी मेरा छल्ला तोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने,
यशोदा तेरे लाल ने,
यशोदा तेरे लाल ने,
आंगली मरोड़ी मेरा छल्ला तोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने।।
गायक – नरेन्द्र कौशिक।
भजन प्रेषक – राकेश कुमार जी,
खरक जाटान(रोहतक)
( 9992976579 )