उपकार तेरा होगा गुरुवर,
मेरे मन के भावों को कहने दो,
ये राग रंग मुझे भाए ना,
मुझे अपने ही चरणों में रहने दो,
ऊपकार तेरा होगा गुरुवर,
मेरे मन के भावों को कहने दो।।
अंतहीन इस भव-सागर से,
जिनवाणी ही पार लगाए,
आप दीप बन खुद भी जलते,
और हमको भी राह दिखाएं;
आगम-नौका में हे गुरुवर,
मुझे संग में अपने बहने दो,
ऊपकार तेरा होगा गुरुवर,
मेरे मन के भावों को कहने दो।।
जैसे तुम शिव-पथ पर चलते,
मुझको भी वेसे चलना है,
भव्य जनों के तुम हो पोषक,
चरणों मे तेरे पलना है,
अपने सा वैरागी करके,
मुझको भी परिषह सहने दो,
ऊपकार तेरा होगा गुरुवर,
मेरे मन के भावों को कहने दो।।
उपकार तेरा होगा गुरुवर,
मेरे मन के भावों को कहने दो,
ये राग रंग मुझे भाए ना,
मुझे अपने ही चरणों में रहने दो,
ऊपकार तेरा होगा गुरुवर,
मेरे मन के भावों को कहने दो।।
– Lyrics/Composition/Voice –
डॉ. राजीव जैन चंडीगढ़।
8136086301