उस गुरु मुरारी लाल ने,
म्हारे घर में मौज बणाई।।
टोटे के म्ह रहया करूं थी,
हरदम दुखड़े सहया करूं थी,
हे उस गुरु मुरारीलाल ने,
म्हारी बिगड़ी बात बणाई।।
धर धर के धन भूलण लागी,
जब ते सतगुरु की शरण पागी,
हे उस गुरु मुरारीलाल ने,
म्हारी करदी कला सवाई।।
बणगे कोठी महल चौबारे,
घर में व्हीकल होगे सारे,
हे उस गुरु मुरारीलाल ने,
म्हारी करदी मन की चाही।।
अनिल भगत के संग में आई,
समचाने आ रात जगाई,
हे नरेश जांगड़ा गावै,
खुद करके न कविताई।।
उस गुरु मुरारी लाल ने,
म्हारे घर में मौज बणाई।।
Singer – Naresh Jangra Budhakhera
9896847800