उसको माँ तुम निहाल करती हो,
जो भी दरबार तेरे आता है,
उसका पल पल ख्याल करती हो,
जो तुम्हें प्यार से मनाता है,
उसको मां तुम निहाल करती हो,
उसको मां तुम निहाल करती हो।bd।
तर्ज – यूँ ही तुम मुझसे बात।
यही सुन कर के मैं भी आया हूं,
यही सुन कर के मैं भी आया हूं,
मेरी किस्मत को भी संवारोगी,
मैं हूं टुकड़ा माँ काच का टूटा,
मैं हूं टुकड़ा माँ काच का टूटा,
क्या मुझे हीरे सा निखारोगी,
उसके सब साथ है माँ,
जिस पे तेरा हाथ है माँ,
उसके सब साथ है माँ,
जिस पे तेरा हाथ है माँ,
वो ना राहों में लड़खड़ाता है,
उसको मां तुम निहाल करती हो,
उसको मां तुम निहाल करती हो।bd।
झोलियां पड़ गई छोटी उनकी,
झोलियां पड़ गई छोटी उनकी,
बन सवाली जो दर पे आए है,
पतझड़ो ने जिन्हे लूटा कल था,
पतझड़ो ने जिन्हे लूटा कल था,
फिर बहारों में मुस्कुराए है,
महकी ममता की कली,
माँ की जब ज्योत जली,
महकी ममता की कली,
माँ की जब ज्योत जली,
आने वाला ना खाली जाता है,
उसको मां तुम निहाल करती हो,
उसको मां तुम निहाल करती हो।bd।
मैं यह वरदान मांगता हूं माँ,
मैं यह वरदान मांगता हूं माँ,
यूं ही बस साथ तू रहे हरदम,
मैं जिधर देखू तू नजर आए,
मैं जिधर देखू तू नजर आए,
कर दे कर दे तू मुझ पे इतना करम,
मैं बुराई से बचूं और तेरा नाम रटूं,
मैं बुरा ई से बचू और तेरा नाम जपूं,
नाम लक्खा को तेरा भाता है,
उसको मां तुम निहाल करती हो,
उसको मां तुम निहाल करती हो।bd।
उसको माँ तुम निहाल करती हो,
जो भी दरबार तेरे आता है,
उसका पल पल ख्याल करती हो,
जो तुम्हें प्यार से मनाता है,
उसको मां तुम निहाल करती हो,
उसको मां तुम निहाल करती हो।bd।
गायक – लखबीर सिंह लक्खा जी।