वह साँवरिया नंदलाला,
चितचोर गजब कर डाला।
दोहा – अपने प्रभु को हम ढूंढ लियो,
जैसे लाल अमोलक लाखन में,
प्रभु के अंग में नरमी है जीती,
नरमी नहीं ऐसी माखन में।
छवि देखत ही मैं तो दंग रही,
मेरो चित्त चुरा लियो झाकन में,
हियरा में बस्यो जियरा में बस्यो,
प्यारी प्यारे बस्यो दोउ आँखन में।
वह साँवरिया नंदलाला,
चितचोर गजब कर डाला।।
क्या सुन्दर सपना आया,
मन मोहन हँसता आया,
मन मोहन हँसता आया,
मधुवन में रास रचाया,
वह धेनु चराने वाला,
वह सांवरिया नंदलाला,
चितचोर गजब कर डाला।।
वे कृष्ण प्रेम मतवारे,
मद भरे लोचनों वारे,
मद भरे लोचनों वारे,
थे ग्वाल बाल संग सारे,
सब बिच बांसुरी वाला,
वह सांवरिया नंदलाला,
चितचोर गजब कर डाला।।
वे नीर भरी दो आँखे,
चितचोर बनी दो आँखे,
चितचोर बनी दो आँखे,
जिसकी थी वे दो आँखे,
वह मोहन था मतवाला,
वह सांवरिया नंदलाला,
चितचोर गजब कर डाला।।
थी जादू की दो आँखे,
चहुँ और वही दो आँखे,
चहुँ और वही दो आँखे,
क्यों कर मुंदी दो आँखे,
वह दिल तड़पाने वाला,
वह सांवरिया नंदलाला,
चितचोर गजब कर डाला।।
ऐ युगल ढूंढ दो आँखे,
आँखों में थी दो आँखे,
आँखों में थी दो आँखे,
क्यों खोली तू दो आँखे,
आँखों में आँखों वाला,
वह सांवरिया नंदलाला,
चितचोर गजब कर डाला।।
वह साँवरिया नंदलाला,
चितचोर गजब कर डाला।।