वंदना करता रहूं मैं,
रात दिन श्री नाथ की,
जीवन सफल हो जाये उसका,
आये शरण जो आपकी,
वंदना करता रहूं मैं,
रात दिन श्री नाथ की।।
मोर मुकुट पीताम्बर धारी,
जन जन के आधार हो,
सब देवो में देव बड़े हो,
कृष्ण के अवतार हो,
जय श्री कृष्ण कहो सब मिलकर,
जय बोलो गिरिराज की,
वंदना करता रहूं मै,
रात दिन श्री नाथ की।।
गिरिवर धारी रास बिहारी,
नाम बहुत है आपके,
मानस जो भी सेवा करता,
रक्षा करते आन के,
थोडी में हिरा जो चमके,
वही तो है श्री नाथ जी,
वंदना करता रहूं मै,
रात दिन श्री नाथ की।।
जय श्री नाथ की बोल रे मनवा,
गूंजे रही चहुँ और है,
यमुना तट बंसीवट जाये,
मथुरा में यही शोर है,
नाच उठे गलिया और उपवन,
प्रकटे जब श्रीनाथ जी,
वंदना करता रहूं मै,
रात दिन श्री नाथ की।।
गोपी जन वल्ल्भ कहलाये,
भक्तो के मन भा गए,
दर्शन करके जतीपुरा में,
सबके मन हर्षा गए,
श्री जी मेरे ऐसे रसिया,
सबके पालनहार है,
वंदना करता रहूं मै,
रात दिन श्री नाथ की।।
वंदना करता रहूं मैं,
रात दिन श्री नाथ की,
जीवन सफल हो जाये उसका,
आये शरण जो आपकी,
वंदना करता रहूं मैं,
रात दिन श्री नाथ की।।