वीणा वाली माँ शारदे,
वीणा तुम बजा देना,
मैया अपनी वीणा से,
जरा रस बरसा देना।।
तर्ज – तुम तो ठहरे परदेसी।
श्वेत वसन वाली है,
हंस की सवारी है,
प्रेम भरे आँचल को,
मुझी पे उढा देना,
वीणा वाली मां शारदे,
वीणा तुम बजा देना।।
तू जग से न्यारी है,
जग तेरा पुजारी है,
प्रेम भाव से सब रहें,
ऐसा ज्ञान दे जाना,
वीणा वाली मां शारदे,
वीणा तुम बजा देना।।
स्वर का तो ज्ञान नही,
लय का ठिकाना नही,
संगीत सागर से,
स्वर सुधा पिला देना,
वीणा वाली मां शारदे,
वीणा तुम बजा देना।।
तुम से मेरी अर्जी है,
आगे तेरी मर्जी है,
अंधकार मिट जाए,
ज्ञान का प्रकाश देना,
वीणा वाली मां शारदे,
वीणा तुम बजा देना।।
वीणा वाली माँ शारदे,
वीणा तुम बजा देना,
मैया अपनी वीणा से,
जरा रस बरसा देना।।
स्वर – मुकेश कुमार मीणा।