विघ्नो को टालने मेरे,
गणराज आ गये,
शिव शम्भू गौरा माता के,
युवराज आ गये।।
मंगलमयी है मूरत,
मोदक लिए हुए,
चूहे पे चढ़के जग के,
सरताज आ गये,
विघ्नों को टालने मेरे,
गणराज आ गये।।
माथे पे सोहे चंदन,
तिरशूल हाथ में,
बुद्धि को देने वाले,
सरकार आ गये,
विघ्नों को टालने मेरे,
गणराज आ गये।।
सोने की थाल में उन्हें,
मोदक खिलाएंगे,
क्योकि मेरे गजानन,
महाराज आ गये,
विघ्नों को टालने मेरे,
गणराज आ गये।।
पांवों में बाजे पायल,
कानो में कर्णफूल,
‘राजेन्द्र’ सुख व शांति के,
अवतार आ गये,
विघ्नों को टालने मेरे,
गणराज आ गये।।
विघ्नो को टालने मेरे,
गणराज आ गये,
शिव शम्भू गौरा माता के,
युवराज आ गये।।
गायक / गीतकार – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।