वो कौन सी जगह,
जो मेरे श्याम की नहीं,
घनश्याम की नही,
वो कौन जगहा है।।
रंगों में श्याम रंग बस,
प्यारा मुझे लगे,
दीवाना जग तेरा तो भला,
कोई क्या करे,
मैं भी दीवाना श्याम का,
कोई और का नहीं,
कोइ और का नही,
वो कौन सी जगहा,
जो श्याम की नहीं,
घनश्याम की नही।।
मै रूप का तुम्हारे,
दीवाना हो गया,
गा गा के नाम तेरा,
मस्ताना हो गया,
मेरा रहे तूँ बनके,
कोई और का नहीं,
कोई और का नही,
वो कौन सी जगहा,
जो श्याम की नहीं,
घनश्याम की नही।।
पाँव में तेरी पैजनी,
कितनी सुघर लगे,
श्री शंख चक्र पदम् से,
तेरे चरण सजे,
तेरे तेरे सिवा ‘राजेंद्र’ का,
और कोई नही,
हाँ और कोई नहीं,
वो कौन सी जगहा,
जो श्याम की नहीं,
घनश्याम की नही।।
वो कौन सी जगह,
जो मेरे श्याम की नहीं,
घनश्याम की नही,
वो कौन जगहा है।।
गीतकार/गायक – राजेंद्र प्रसाद सोनी।
8839272340
https://youtu.be/fVl60f1ySlg