वो राम धुन में मगन है रहते,
लगन प्रभु की लगा रहे है,
वो राम जी के चरण में रहते,
प्रभु के कारज बना रहे है,
वो राम धुन में मगन हैं रहते,
लगन प्रभु की लगा रहे है।।
तर्ज – फसी भंवर में थी मेरी नैया।
वो राम लक्ष्मण काँधे बिठाए,
सुग्रीव के संग मैत्री कराए,
प्रभु मुद्रिका थी मुख में डाली,
वो लंका धाए सुधि सिया लाए,
निशानी माँ की दीजो प्रभु को,
प्रभु हदय से लगा रहे है,
वो राम धुन में मगन हैं रहते,
लगन प्रभु की लगा रहे है।।
लखन है मूर्छित है राम रोते,
बूटी सजीवन अब कौन लाए,
प्रभु लगन थी ह्रदय में धारी,
वो बूटी वाला पर्वत ले आए,
वो प्राण रक्षक बने लखन के,
हाथों से बूटी खिला रहे है,
वो राम धुन में मगन हैं रहते,
लगन प्रभु की लगा रहे है।।
नागों की पाश में प्रभुजी आए,
गरुड़ को लाए प्राण बचाए,
अहिरावण प्रभु को लेके भागा,
संघारा पापी पाताल धाए,
रंगा सिंदूरी तन अपना सारा,
प्रभु का चंदन लगा रहे है,
वो राम धुन में मगन हैं रहते,
लगन प्रभु की लगा रहे है।।
वो राम धुन में मगन है रहते,
लगन प्रभु की लगा रहे है,
वो राम जी के चरण में रहते,
प्रभु के कारज बना रहे है,
वो राम धुन में मगन हैं रहते,
लगन प्रभु की लगा रहे है।।
गायक – राकेश जी काला।