वृन्दावन में श्री चरणन में,
हमको रहना है,
संतन के संग बैठ बैठ मोहे,
नाम सुमिरना है,
वृंदावन में श्री चरणन में,
हमको रहना है।।
तुलसी कंठी चंदन ब्रजरज,
अब यही म्हारा गहना है,
राधा नाम की अविरल धारा-2,
मोहे संग संग बहना है,
वृंदावन में श्री चरणन में,
हमको रहना है।।
सुख-दुख सहना कछु नहीं कहना,
कर्मन का फल जान के सहना,
इतना भरोसा मोहे देना-2,
प्यारे तू मेरे संग संग है ना,
वृंदावन में श्री चरणन में,
हमको रहना है।।
अंत समय प्रभु आए हमारा,
जमुना का किनारा हो,
रज में रज है के मिल जाऊं-2,
प्यारे एक ही अरज निभाना,
वृंदावन में श्री चरणन में,
हमको रहना है।।
कहे ‘गोविंद’ सुनो मोरे ठाकुर,
मेरा अंत बना देना,
आना श्री राधे संग माही-2,
मोहे सेवा में ले लेना,
वृंदावन में श्री चरणन में,
हमको रहना है।।
वृन्दावन में श्री चरणन में,
हमको रहना है,
संतन के संग बैठ बैठ मोहे,
नाम सुमिरना है,
वृंदावन में श्री चरणन में,
हमको रहना है।।
स्वर – श्री गोविन्द भार्गव जी।
प्रेषक – ऋषि विजयवर्गीय।
7000073009
Bahut Bahut hi achha