वो मुरली याद आती है,
दोहा – बंसी वारे मोहना,
बंसी ऐसी बजाए,
तेरी मुरली मेरे मन बसी,
मोहे घर अंगना ना सुहाए।
ये तेरी रस भरी मुरली,
मेरे मन को तड़पाती है,
वो मुरली याद आती है,
सुन कान्हा सुन,
सुन कान्हा सुन,
मुरली ना बजा।।
तर्ज – वो लड़की याद आती है।
तुम्हारी याद में कान्हा,
मैं दिन दिन भटकती हूँ,
जो आई रात बैरन तो,
मैं मछली सी तड़पती हूँ,
ये तेरी सांवरी सूरत,
मेरे मन को तड़पाती है,
वो सूरत याद आती है,
वो सूरत याद आती है।।
सुना है आपने मथुरा में,
पापी कंस को मारा,
बचाए देवकी वसुदेव,
कुमारा नन्द के लाला,
बचायी लाज द्रोपद की,
घटी ना पांच गज साड़ी,
वो साड़ी याद आती है,
वो सूरत याद आती है।।
बहाना गेंद का लेकर,
कूदे यमुना में तुम धाए,
नर्तन फन फन पर कर कान्हा,
कालिया नाग नथ डाले,
वो ग्वालन मण्डली में मिल,
माखन चोरी से खाता है,
वो चोरी याद आती है,
वो चोरी याद आती है।।
ये तेरी रस भरी मुरली,
मेरे मन को तड़पाती है,
वो मुरली याद आती हैं,
सुन कान्हा सुन,
सुन कान्हा सुन,
मुरली ना बजा।।
प्रेषक – अशोक जाट।
9755469283