ये दूरी ये जुदाई,
मुझे ना रास आई,
तेरे बिना ये संसार,
सुनले मेरे लखदातार,
लगे जैसे हो गहरी खाई,
ये दुरी ये जुदाई,
मुझे ना रास आई।।
तर्ज – वफ़ा ना रास आई।
जिस और जहाँ भी मैं देखूं,
धोखा और झूठ नज़र आये,
मोह माया और रिश्ते नाते,
सब छल से मिले बशर आये,
इनसे होके मैं लाचार,
आया तेरे दरबार,
झूठी प्रीत ना मुझको भायी,
ये दुरी ये जुदाई,
मुझे ना रास आई।।
ये दुनिया पागलखाना है,
तेरा दर ही मेरा ठिकाना है,
तेरे नाम की मस्ती का प्यासा,
तेरा दर मेरा मैखाना है,
चढ़ा जबसे खुमार,
रटूँ ये ही बार बार,
है प्यार की ये गहराई,
ये दुरी ये जुदाई,
मुझे ना रास आई।।
‘धीरज’ तेरे दर से मिला मुझको,
दीवाना तेरा मैं बन बैठा,
बन कर के लहू मेरी नस नस में,
तेरे प्यार का सागर उमड़ बैठा,
मुझपे तेरा है अधिकार,
मेरे खाटू के सरकार,
अब सुनले मेरी दुहाई,
ये दुरी ये जुदाई,
मुझे ना रास आई।।
ये दूरी ये जुदाई,
मुझे ना रास आई,
तेरे बिना ये संसार,
सुनले मेरे लखदातार,
लगे जैसे हो गहरी खाई,
ये दुरी ये जुदाई,
मुझे ना रास आई।।
Singer – Shvam Ladla