श्री मंजू बाईसा भई,
बाबोसा की दीवानी,
ये है बाबोसा की निशानी,
बात दुनिया ने मानी,
दिल में बस गए बाबोसा,
बाईसा दिल में तुम्हारे,
मन मे बस गए बाबोसा,
बाबोसा मन मे तुम्हारे।।
तर्ज – बहे अँखियों से पानी।
मन मंदिर में बाबोसा बसाई के,
दिल मे उनकी ज्योत जगाई के,
तन मन अपना उनपे लुटाई के,
सांची प्रीत बाबोसा से निभाई के,
सौप दी सारी जिंदगानी,
ये हैं बाबोसा की निशानी,
बात दुनिया ने मानी,
मन मे बस गए बाबोसा,
बाबोसा मन मे तुम्हारे।।
जैसे दीप के संग हो ज्योति,
जैसे सीप के संग हो मोती,
रंग गई जो बाबोसा के रंग में,
हरपल रहती भक्तो के संग में,
करती सदा मेहरबानी,
ये हैं बाबोसा की निशानी,
बात दुनिया ने मानी,
मन मे बस गए बाबोसा,
बाबोसा मन मे तुम्हारे।।
जन जन की बाईसा प्रिय बन बैठी,
चिन्तन कर भक्तो की चिंता मेटी,
जो बाबोसा से अरदास लगाये,
‘दिलबर’ सबके वो कष्ट मिटाये,
सुनलो ये सोनू की जुबानी,
ये हैं बाबोसा की निशानी,
बात दुनिया ने मानी,
मन मे बस गए बाबोसा,
बाबोसा मन मे तुम्हारे।।
श्री मंजू बाईसा भई,
बाबोसा की दीवानी,
ये है बाबोसा की निशानी,
बात दुनिया ने मानी,
दिल में बस गए बाबोसा,
बाईसा दिल में तुम्हारे,
मन मे बस गए बाबोसा,
बाबोसा मन मे तुम्हारे।।
गायिका – सोनू माहेश्वरी।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365