ये सुना है की,
कोई ना थी राधिका,
कृष्ण की कल्पना,
राधिका बन गई।bd।
कृष्ण को प्रेम की,
तीव्र इच्छा जगी,
सर्वथा प्रेम के,
योग्य राधिका लगी,
वास्तविकता से रोचक,
लगे यह कथा,
चल पड़ी प्रेम की,
बस तभी से प्रथा,
सारी सखियाँ न्यौछावर थी,
जब श्याम पर,
प्रश्न है क्यूँ वही,
प्रेमिका बन गयी,
ये सुना हैं की,
कोई ना थी राधिका।bd।
बांसुरी में वही,
प्रेरणा बन बजी,
रास में भी वही,
प्रियतमा बन सजी,
नाम आधा अधूरा,
सा है राधिका,
अपने आराध्य की,
है वो आराधिका,
प्राण प्राणों में,
ऐसे समाए की बस,
लाल चन्दा प्रिया,
चन्द्रिका बन गई,
ये सुना हैं की,
कोई ना थी राधिका।bd।
कल्पना ऐसी सुन्दर,
मधुर हो गई,
इनकी भक्ति में,
हर आत्मा खो गई,
जिसका नेहा लगा,
इस युगल रूप से,
बच गया वो,
दुखो की कड़ी धुप से,
इनके नामों पे,
सब नाम रखने लगे,
प्रेमियों के लिए,
भूमिका बन गई,
Bhajan Diary Lyrics,
अपना सबकुछ भूलाकर,
कोई गोपिका,
सांवले रंग की,
साधिका बन गई,
ये सुना हैं की,
कोई ना थी राधिका।bd।
ये सुना है की,
कोई ना थी राधिका,
कृष्ण की कल्पना,
राधिका बन गई।bd।
स्वर / लेखन – श्री रविंद्र जी जैन।