ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है,
ज्यादा मत देखो नजर लग जाएगी,
ये कीर्तन की रात दोबारा आएगी,
ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हैं,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है।।
तर्ज – दुल्हे का सेहरा।
हजारों बार देखा है,
हजारों बार सजते हो,
मगर क्या बात है मोहन,
गजब के आज लगते हो,
ये सुन्दर चेहरा सुहाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है,
ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हैं,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है।।
अगर हम दूर से देखें,
कन्हैया पास लगते हो,
अगर नजदीक से देखें,
हमें तुम ख़ास लगते हो,
ये तेरा अंदाज पुराना लगता है,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है,
ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हैं,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है।।
नजारा देख कर कोई,
मुझे सपना सा लगता है,
नया चेहरा तेरा कान्हा,
मगर अपना सा लगता है,
ये बदलेगा जल्दी जमाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है,
ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हैं,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है।।
उछालो रंग बनवारी,
दीवाना आज कर डालो,
जरा मुस्का देखो तुम,
नजर के तीर मत डालो,
भक्तो के दिल पे निशाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है,
ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हैं,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है।।
ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है,
ज्यादा मत देखो नजर लग जाएगी,
ये कीर्तन की रात दोबारा आएगी,
ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हैं,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है।।
स्वर – दिनेश जी भट्ट।
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