यो तो दूर से दिखे रे,
खाटू वाले को निशान,
म्हारे बाबा को निशान,
खाटू वाले सांवरे की,
या ही है पहचान।।
तर्ज – मीठी मीठी मेरे सांवरे की।
केसरिया निशान माहि,
सांवरो बिराजे,
रंग बिरंगी ध्वजा देखकर,
इंद्र धनुष भी लाजे,
श्याम का जयकारा लगाता,
पैदल चल तू खाटू धाम,
खाटू वाले सांवरे की,
या ही है पहचान।।
आता जाता श्याम धणी का,
सेवक जय जय बोले,
लहरातो निशान देख,
भगता को मनड़ो डोले,
सरपट चाल तू तो खाटू,
वठे मिलसी बाबो श्याम,
खाटू वाले सांवरे की,
या ही है पहचान।।
पैदल चलता मारग माहि,
मत ना तू घबराजे,
थक जावे तो श्याम धणी को,
जयकारों लगा जे,
कोई ‘राजेन्द्र’ सांवरिया,
तेरो राखेगो सम्मान,
खाटू वाले सांवरे की,
या ही है पहचान।।
यो तो दूर से दिखे रे,
खाटू वाले को निशान,
म्हारे बाबा को निशान,
खाटू वाले सांवरे की,
या ही है पहचान।।
स्वर – सौरभ मधुकर।