श्याम माखन चुराते चुराते,
अब तो दिल भी चुराने लगे है,
राधा रानी को लेकर कन्हैया,
अब तो रास रचाने लगे है।।
देवकी के गर्भ से जो जाए,
माँ यशोदा के लाल कहाए,
ग्वाल बालो के संग में कन्हैया,
अब तो गव्वे चराने लगें है,
अब तो दिल भी चुराने लगे है।।
मोह ब्रह्मा का जिसने घटाया,
मान इन्द्र का जिसने मिटाया,
स्वयं बनकर पुजारी कन्हैया,
अब तो गिरिवर पूजाने लगे है,
अब तो दिल भी चुराने लगे है।।
श्याम ने ऐसी बंसी बजायी,
तान सखियों के दिल में समायी,
राधा रानी को लेकर कन्हैया,
रास मधुबन रचाने लगे है,
अब तो दिल भी चुराने लगे है।।
दीन बंधु ज़माने के दाता,
संत भक्तो के है जो विधाता,
दया लेकर शरण राधा रानी की,
उनका गुणगान गाने लगे है,
अब तो दिल भी चुराने लगे है।।
श्याम माखन चुराते चुराते,
अब तो दिल भी चुराने लगे है,
राधा रानी को लेकर कन्हैया,
अब तो रास रचाने लगे है।।
स्वर – संजीव कृष्ण जी ठाकुर।
प्रेषक – बबलु साहू।
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